Friday, December 1, 2023
Homeउत्तर प्रदेशचिकनगुनिया में लापरवाही पड़ सकता है भारी, जानिए फिजिशियन डॉ विवेक सिंह...

चिकनगुनिया में लापरवाही पड़ सकता है भारी, जानिए फिजिशियन डॉ विवेक सिंह से इसका लक्षण और इलाज

-

spot_img

Chandauli news :  मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां हैं, जिनका प्रकोप दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है आज बात करेंगे चिकनगुनिया की जो वायरल डिजीज है. यह वायरस इंसानों में एडिस नामक मच्छर के काटने फैलता है. चिकनगुनिया से प्रभावित मरीजों में अचानक तेज बुखार आना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, थकान, मतली और स्किन पर चकत्ते पड़ने जैसे लक्षण दिखते हैं. हरिओम हास्पिटल चंदौली के डाक्टर विवेक सिंह की माने तो इसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है.

हरिओम हॉस्पिटल के फिजीशियन डॉक्टर विवेक सिंह का कहना है कि चिकनगुनिया एक वायरल बीमारी है, जो एडिस नामक मच्छर के काटने से फैलता है. बरसात के मौसम में बीमारी फैलने का खतरा अधिक रहता है. दरअसल, मानसून में मच्छरों के पनपने का खतरा अधिक होता है. जिसमें एडिस इजिप्ती और एडिस एल्बोपिक्टस मच्छर भी काफी संख्या में पनपते हैं, इन संक्रामक मच्छरों के काटने से चिकनगुनिया वायरस तेजी से फैलता है. एडिस मच्छर के काटने के करीब 4 से 6 दिनों के बाद इसके लक्षण दिखते हैं. यह मच्छर आमतौर पर दोपहर या दिन के समय है. चिकनगुनिया के मच्छर घर से ज्यादा बाहर काटते हैं. हालांकि, ऐसा नहीं है कि वे घर में पैदा नहीं होते हैं. घर के अंदर भी इस मच्छर के पैदा होने की संभावना होती है.

चिकनगुनिया के लक्षण

चिकनगुनिया का शुरुआती और पहला लक्षण आमतौर पर बुखार होगा, उसके बाद मरीज के शरीर पर दाने नजर आते हैं. संक्रमित मच्छर के काटने के बाद बीमारी की शुरुआत लक्षण आमतौर पर 4 से 8 दिनों के बाद होती है. हालांकि, इसके लक्षण 2 से 12 दिनों में भी दिख सकता है. इसके अलावा चिकनगुनिया के लक्षण निम्न हो सकते हैं.

सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द, अचानक तेज बुखार (आमतौर पर 102 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर) अर्थराइटिस की समस्याएं, आंखों से पानी आना मतली और उल्टी जैसा अनुभव होना. स्किन पर लाल रंग के धब्बे होना. हड्डियों में दर्द होना प्रमुख लक्षण है.

चिकनगुनिया का निदान

चिकनगुनिया के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें. डॉक्टर चिकनगुनिया का निदान करने के लिए सबसे पहले आपका शारीरिक परीक्षण करेंगें. टेस्ट में आईजीएम और आईजीजी एंटी-चिकनगुनिया एंटीबॉडी की उपस्थिति की पुष्टि की जा सकती है. चिकनगुनिया वायरस एंटीबॉडी आमतौर पर बीमारी के पहले सप्ताह के अंत में विकसित होते हैं. आईजीएम एंटीबॉडी का स्तर बीमारी की शुरुआत के तीन से पांच सप्ताह बाद हाई होता है, और लगभग दो महीने तक बना रहता है. इसके अलावा डॉक्टर आरटी-पीसीआर ब्लड टेस्ट भी करा सकता है. हालांकि, इस टेस्ट को चिकनगुनिया से प्रभावित होने के सप्ताहभर के अंदर कराया जाता है.

चिकनगुनिया का इलाज

चिकनगुनिया का कोई प्रभावी इलाज नहीं है, यानी अभी तक इस बीमारी के लिए दवाई और टीका उपलब्ध नहीं है. हालांकि, इसके लक्षणों को कम करके चिकनगुनिया का इलाज करने की कोशिश की जाती है. जैसे बुखार कम करने के लिए बुखार की दवाइयां, शरीर में दर्द को कम करने के लिए दर्द की कुछ दवाइयां दी जाती हैं. मरीज को अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है. मरीज को आराम करने की सलाह दी जाती है. ताकि शरीर में ही कमजोरी को दूर किया जा सके.

चिकुनगुनिया से बचाव

हरिओम हॉस्पिटल के डॉक्टर विवेक सिंह ने बताया कि चिकनगुनिया से बचाव ही इसका बेहतर इलाज हो सकता है. इसलिए मानसून के समय पर अपने शरीर को ढककर रखें. मच्छरदानी लगाकर सोएं. बच्चों को बाहर जाने से रोकें. वहीं, अगर आपके शरीर में किसी तरह का बदलाव नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. ताकि चिकनगुनिया के गंभीर लक्षणों से बचा जा सके. 

spot_img

सम्बन्धित ख़बरें

spot_img

हमे फॉलो करें

6,722FansLike
6,817FollowersFollow
3,802FollowersFollow
1,679SubscribersSubscribe
spot_img

ताजा ख़बरें

spot_img
error: Content is protected !!