
मुगलसराय। भारतीय रेल के प्रमुख जंक्शनों में शुमार मुगलसराय का नाम आते ही लोग पूछ बैठते हैं की यहां क्या है। लोगों का जवाब यहां रेल है जहां प्रतिदिन सैकड़ों यात्री ट्रेनों का परिचालन होने के साथ ही एशिया का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड है होने की बात कही जाती है। जिसकी लम्बाई 12.6 किमी लम्बाई बताई जाती है। जो जनपद चंदौली व नगर रेल पर काफी निर्भर है के दावे को पुख्ता करते हुए जवाब देता है की यहां क्या है रेल है। स्थानीय रेलवे जंक्शन के भव्य रेलवे स्टेशन की बुनियाद पंडित कमलापति त्रिपाठी १९७५ से लेकर १९७७ के बीच केन्द्रीय रेलमंत्री रहने के दौरान 10 अप्रैल 1976 को स्टेशन के नए भव्य भवन निर्माण कार्य का शिलान्यास किया । जिन्हें चंदौली जनपद का विश्वकर्मा कहा जाता है। जिनके विभिन्न विकास कार्यो में स्थानीय रेलवे स्टेशन भी है। काफी दिनों से स्थानीय रेलवे स्टेशन का नाम यहां जन्मे सादगी के प्रति मूर्ति रहे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाम रखने के कवायद के साथ ही दीनदयाल उपाध्याय का नाम भी रखने की मांग चल रही थी। जिनका शव १९६८ में जंक्शन के करीब पाया गया था। दोनों नामकरण के कवायद के बीच केन्द्र व प्रदेश में भाजपा की सरकार आने पर संघ के प्रचारक रहे दीनदयाल उपाध्याय का नाम रखने का अवसर प्राप्त हुआ तत्पश्चात ५ अगस्त २०१८ को मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय रखा गया। इस तरह नई दिल्ली से हावड़ा रेल खण्ड पर स्थित अति व्यस्त स्थानीय रेलवे जंक्शन को अब दीनदयाल उपाध्याय व डीडीयू मंडल के नाम से जाना जाता है। जानकारी अनुसार १८६२ में पूर्वी भारत के दूसरा सबसे बड़ा स्टेशन है जिसका इतिहास १६१ साल पुराना है। इस तरह समय-समय पर इसका विस्तारीकरण होने के साथ ही दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर नामकरण कर दिया गया। अब चंदौली के सांसद व केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्री भारत सरकार डा० महेन्द्र नाथ पांडेय के कवायद पर कई आधुनिक यात्री सुविधा का कार्य होने के साथ स्टेशन परिसर का भव्य सुंदरीकरण हुआ है जिसमें तत्कालीन मण्डल रेल प्रबंधक रहे पंकज सक्सेना की महती भूमिका रही जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान यात्री सुविधा के क्रम में कई अध्याय जोड़े। तत्पश्चात सड़क से स्टेशन दिखाई दें इसकी कवायद के तहत स्टेशन के दोनों गेटों के मध्य स्थित दुकानों को हटाने के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा दुकानदारों को नोटिस भी दिया गया था। परन्तु किन्हीं कारणाों से अभी वह कार्य ठंडे बस्ते में डल गया है। इस के कवायद के पिछे कभी वाराणसी जनपद का हिस्सा रहा चंदौली का हृदय डीडीयू रेलवे स्टेशन को भी सड़क से गुजरने के दौरान इसकी भव्यता दिखाने की कोशिश है। इस तरह मुगलसराय में क्या है रेल है के दावा को पुख्ता करता है l एखलाक (मुगलसराय में क्या है मुगलसराय में रेल है पार्ट -2)




